यूरोप की आधी
आबादी ख़त्म कर
देने वाली महामारी
Black Death History
क्रिमीया प्रायद्वीप जहाँ आज फीडोसिया है वहाँ 13 वीं शताब्दी में मंगोल ने हमला कर दिया था
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लेकिन उनकी फौज में प्लेग फैलने के कारण उन्हें भागने पर मजबूर होना पड़ा। जाते-जाते उन्होंने अपने सेनिको की इन्फेक्टेड बॉडी को यूरोप में फैला दिया
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इससे शहर में प्लेग फैलने लगा लोग अपनी जान बचाकर शहर छोड़कर भाग निकले।लेकिन वे जहाँ गए वहाँ प्लेग फैलाते गए।
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चंद महीनों के अंदर ही पूरे यूरोप में मौत का काला साया मँडराने लगा। यह महामारी बड़ी तेज़ रफ्तार से सारे देशो में फैल गई।
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करीब ढाई सालों में देखते
ही देखते 2.5 करोड़ लोग यानी यूरोप की एक चौथाई
आबादी इस बीमारी की भेंट चढ़ गई।
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इस बीमारी को ब्लैक डेथ नाम दिया गया है, जिसने “दुनिया में ऐसी तबाही मचा दी थी जैसी पहले कभी नहीं देखी गई।”
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यूरोप में फैला प्लेग दो
किस्म का था। “पहले
किस्म को न्यूमौनिक और
दूसरे किस्म को ब्यूबौनिक कहते हैं।
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इस दूसरी किस्म के प्लेग ही ने सबसे ज़्यादा लोगों की जान ली। सन् 1894 में फ्राँसीसी जीवाणु-विज्ञानी आलॆक्सान्द्रे यरसन ने उस वायरस का पता लगाया
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और उसी के नाम पर इस वायरस का नाम येर्सिनिया पेस्टिस रखा गया। चार साल बाद फ्राँसीसी पॉल-लुई सीमॉन ने पता लगाया कि यह प्लेग
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एक तरह के पिस्सू से फैलता है
,
इन खोजों से तुरन्त एक वैक्सीन तैयार की गई जिससे कुछ हद तक प्लेग से लड़ने में मदद मिली।
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